Shree anandpur satguru vinti , Shree parahamhans dayal ji lryrics in hindi is described in this post of sarasbhajan
श्री आनंदपुर सतगुरु विनती
।। बोलो जयकारा: बोल मेरे श्री गुरूमहाराज की जय।।
।। दोहा।।
श्री परमहंस दयाल जी, पूरण सुख के धाम।
बार बार दण्डवत करूं, कोटिन कोटि प्रणाम ॥1॥
हाथ जोड़ विनती करू, सतगुरु कृपानिधान।
सेवा अपनी दीजिये, और भक्ति का दान।।2॥
सुःख दाता दुखभंजना, सतगुरू तुम्हरो नाम।
नाम अमोलक दीजिये, भक्ति करु निष्काम।। 3॥
नाव बनाई शब्द की, बहुत किया उपकार।
भवसागर में डूबते, लीन्हें जीव उबार ।।4॥
तुम बिन कोई मीत नहीं, स्वारथ का संसार।
बिन स्वारथ सतगुरु करें, निशिदिन पर उपकार।। 5॥
मैं निर्बल अति दीन हूँ, तुम समरथ बलवान।
सब विधि मम रक्षा करों, दीनबन्धु भगवान।।6॥
बिरद सम्भारो नाथ जी, शरणागत प्रतिपाल ।
बाँह गहे की लाज है, मेरी करो सम्भाल।।7॥
समरथ सतगुरू देव जी, लीन्ही तुम्हरी ओट ।
तुम्हरी कृपा से मिटत है, जनम जनम के खोट।।8॥
मैं अपराधी जीव हूँ, नख सिख भरा विकार।
अपनी दया से सतगुरु, कीजे भव से पार।।9॥
भटक- भटक के आईया, परिया तुम्हरे द्वार।
चरण- शरण में राख लो,अपनी कृपाधार।।10॥
तुझसा मुझको है नहीं, मुझसे तुम्हें अनेक।
राखों चरणन छाव में, गही तुम्हारी टेक।।11॥
टेक एक प्रभु आपकी, नहीं भरोसा आन।
तुम्हरी कृपा दृष्टि से, पाइये पद निर्वाण।।12॥
अनिक जन्म भरमत रहियो, पायो न विश्राम।
आया हूँ तव शरण में, कृपा सिन्धु सुखधाम।।13॥
लिव श्री चरणन में लगें, जैसे चन्द्र चकोर।
रेन दिवस निरखत रहूँ, गुरु मुरत की ओर।।14॥
श्री गुरू चरण सरोज में, राखूँ अपना शीश।
चाहूं तुझसे मैं सदा, प्रेम भक्ति बख्शीश।।15॥
पत राखों मेरे साईयां, दयासिन्धु दातार।
बार-बार विनती करू, सतगुरू तव चरणार।।16॥
पारब्रह्म सतगुरु मेरे, पूरन सच्चिदानंद।
नमस्कार प्रभु आपको, भक्तन के सुखकन्द।।17॥
श्री माता पिता सतगुरू मेरे, शरण गहूँ किसकी।
गुरु बिन ओर न दूसरा, आस करू जिसकी।।18॥
।।जयकारा:निस्तारा: धर्म का द्वारा: झूलेगी ध्वजा, बजेगा नक्कारा: सूनकर बोलेगा सो निहाल होयेगा, बोल साचे दरबार की जय।।
Source – Pooja ke phool , Shree paramhans advat mat publication society …..